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व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सर्व.
सं.अस्मत्
मैं का बहुवचन, हम।
उदा.--
नारी हूं सिख नाथ री, गौरख ध्यांन ग्रहाह। किस कारण कमधज कहै,
हम
झड़ देख रहा।--पा.प्र.
रू.भे.
हम्म।
सं.पु.
अहम्, घमण्ड। वि.[फा.हमः] सर्व, सब, समस्त।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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