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हलक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.हल्क
1.गले की नली, कंठ।
2.गला।
3.मण्डली।
4.मण्डल, घेरा, वृत्त।
5.क्षेत्र, इलाका।
6.चहल-पहल।
  • उदा.--काचौ देह तणौ कमठांणौ, पड़तां नह लागै पलक। दुनिया तणी निहली दोलत, हठवाड़ा वाळी हलक।--बां.दा.
7.कुसुम, फूल। (अ.मा., ह.नां.मा.)
8.लाल कमल।
9.सुन्दरता, शोभा।
  • उदा.--1..पेख्यां हलक हिमाळ सारस-बार पयांणै। कोंच-रंघ्र अखियात, पारस कीरत आंणै।--मेघ
  • उदा.--2..जोधांणौ जसराज रौ, खूबी करै खलक। खाणा पीणा गांठ रा, जोवण री बडी हलक।--अज्ञात
10.आनन्द।
11.देखो 'हलकौ' (रू.भे.)
  • उदा.--1..हस्ती थै लाई जौ कजळी देस रौ। हस्तियां रै हलक पधारजौ रे तोरै आवजौ।--लो.गी.
  • उदा.--2..नगर हलक हालै नर नारी, घर धंधौ छोड़ै परवारी। मिळ तांजूं दी सीख उमंग।--र.रू.
रू.भे.
हलक्क, हलख।
[सं.हल्लकं]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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