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हलचल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.घबराहट, बेचैनी, खळबळी, हड़बड़ाहट।
  • उदा.--1..पन्नामारु हलचल हुई हलकार। खळ भळ हुई राठौदां री चाकरी हौ म्हारा राज।--लो.गी.
  • उदा.--2..भला रावतां ठाकुरां मांही हा-हूं हलचल हुई रही छै। डाढाळौ सूअर रार सूं विकराळ होय लड़ियौ, भला भरोसाबंध राजपूतां रा घौड़ा रुळ रहिया छै।--डाढाळा सूर री बात
2.शोरगुल, हल्ला-गुल्ला।
  • उदा.--परदळ आया जांणि हो रा., कोलाहल हलचल हुई अति घणीजी। चित चमक्यौ वीरभांण हो रा., धाया सुर सुभट जूझण भणीजी।--प.च.चौ.
3.भगदड़, अव्यवस्ता।
4.कंपन, आतंक, भय।
5.युद्ध, लड़ाई।
  • उदा.--सत्रहरां नारि नहं नींद भरि सोवसी, हलचलां सही हालां घरै होवसी।--हा.झा.
6.धूमधाम, रौनक, चहलपहल।
  • उदा.--मेहलां मैं बैठी हो रांणी कमलावती, झीणी तौ ऊडै मारग खेह, जोवै तमासौ हौ इखुकार नगर नौ। कोतुक उपनौ मनमैं एह। सांभळ हे दासी आज नगर मैं, हलचल किम घणी।--जयवांणी
7.गतिशीलता।
  • उदा.--हलचल सास सरीर मैं, मन छाड्‌यौ अहंकार। पूत पिता परवार मैं, संग न चालणहार।--अनुभववांणी
8.असर, प्रतिक्रिया।
  • उदा.--निजर रै पैल झबकै ई तीनूं जणा एक दूजा नै सुभट ओळख लिया। काली मासी रा मन मैं तौ कीं विसेस हलचल नीं व्ही, पण बाप बेटी माथै तौ ओळखांण रै समचै ई जांणै बीजळी पड़ी।--फुलवाड़ी
9.स्वागत, सत्कार।
  • उदा.--कछवाहौ मांनसिंह कंवरपदै अकबर पातसाह गुजरात मेलियौ छौ, तद चीतोड़ धणी प्रताप छै, सु रांणैजी मांनसिंह कनैं सोनगरौ मांनसिंह अखैराजोत डोडियौ भींव सांडावत मेल नैं हलचल कराई हुती, सु मानसिंह कछवाहौ पाछौ वळतौ डूंगरपुर आयौ।--नैणसी
10.किसी प्रकार की क्रिया, हरकत।
रू.भे.
हलचली, हलचल्ल, हलचल्ली, हलचल्लै। मह.--हलचलौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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