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हळहळ, हलहल
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.शीघ्रता, ताकीद।
उदा.--
ऊंमर दीठा जावता,
हळहळ
करइ करूर। एराकी ओखंभिया, जइसइ केती दूर।--ढो.मा.
2.भगदड़, खलबली, हड़बड़ाहट।
उदा.--
हळहळ
बळ बिसतरै, जांण हीलोहळ फट्टौ। पवन संग पेरियां, प्रबळ दव दंग प्रगट्टौ।--रा.रू.
3.धूम-धाम, चहल-पहल।
उदा.--
सतखनै आवासूं कौ
हळहळ
नर्यंद का निवास। गौखूँ कै वीच मैं जोति का उजास।--सू.प्र.
4.कोलाहल, शोर-गुल।
उदा.--
तीरां री सांठी टूटी, भालां री गांस मांही रही सो लोहा सूं पूर हुवौ थकौ पार होय जा बरड़ी ऊपर खड़ौ रहियौ। भला रावतां ठाकुरा मांहीं हा-हू
हलहल
हुई रही छै।--डाढाळा सूर री बात
5.घबराहट, बेचैनी। क्रि.वि.--धीरे-धीरै, शैनैः-शनैः।
उदा.--
परसंसी पाछा वल्या, सेना सकल विहांण।
हलहल
हय गय संतरिया, निंरघोस्यां नीसांण।--मा.कां.प्र.
रू.भे.
हलहल्ल।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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