वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
अंत्यानुप्रास ढूंढें
हां
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
अव्यय
सं.आम्
1.स्वीकृति या सम्मति सूचक अव्य.।
उदा.--
घर नुं सूत्र सही मनि गणी तिणि अवसरि तिणइ
'हां'
भणी घरि आविउ मनि चिंता करइ 'एह काज हिव किण परि सरइ।'--हीराणंद सूरि
2.किसी प्रश्न, आवाज या सम्बोधन के प्रत्युत्तर में बोला जाने वाला स्वीकृति सूचक शब्द।
उदा.--
स्वांमीजी बोल्या--त्याग है थारै। चट त्याग करावताइ हुवा। त्याग कराय नैं बोल्या : परणीजवारै वासतै नव वरस थैं राख्या है कै?
हां
स्वांमीनाथ।--भि.द्र.
3.होने की अवस्था या दशा।
उदा.--
पण अरजनियै रौ तौ खयानास ही खोय द्यौ। जाटणी रौ जायौ, जाट सूं ही अड़ै अर खेड़ै। जात-जात मैं ही भेद भरै। वांणियां थोड़ा ही
हां
, जकौ कैद-फांसी सूं डरां।--दसदोख
रू.भे.
हआं।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
Project
|
About Us
|
Contact Us
|
Feedback
|
Donate
|
संक्षेपाक्षर सूची