सं.स्त्री.
अ.हाजिरी
1.उपस्तिति, मौजूदगी या वर्तमान होने की अवस्था या भाव।
2.किसी कार्य विशेष या अवसर पर उपस्थित रहने की अवस्था, मौजूदगी।
3.कार्यालय या नौकरी पर नियत समय पर उपस्थित होने की क्रिया, उपस्थिति।
- उदा.--छठै दिन दरबार मैं पाछौ हाजर व्हैणौ। डोढ दिन मारग रौ। आधी ढळियां ईं घोड़ै नीं चढिया तौ हाजरी मैं चूक व्है जावैला।--फुलवाड़ी
4.विद्यार्थियों, मजदूरों, सिपाइयों आदि की ली जाने वाली रोजाना की उपस्थिति।
- उदा.--सोपौ पड़्यौ, सरणाटौ छायौ। वत्ती काटी, लोटियौ बुझायौ। हाजरी हुई अर सोवण री घंटीवाजी।--दसदोख
5.उपर्युक्त उपस्थिति के फलस्वरूप किसी पंजिका में किया जाने वाला अंकन, हस्ताक्षर आदि। क्रि.प्र.--करणी, कराणी, मांडणी, लगाणी, लिखणी, लैणी।
6.कर्त्तव्य, ड्यूटी।
- उदा.--भाग सूं उणरी ड्यूटी बी.डी.ओ.सा'ब रै घरै इज लागी। वौ जितरौ नाचण-गावण मैं हुंसियार हौ, उतरौ ई हाजरी साजण मैं पण पाटक हौ।--अमरचूंनड़ी
7.सेवा, चाकरी, टहल।
- उदा.--1..बठै म्हारै ही कांम वेगौ, चौधरीजी री हाजरी मैं आखी रात खड़ा अटकता रैया।--दसदोख
- उदा.--2..बेटौ इग्याकारी ऐड़ौ कै बाप नै सपना मैं ईं ओड़ौ कौ देवै नीं। आठ पौ'र बाप री हाजरी मैं हाथ जोड़्यां एक पग रै पांण ऊभौ रैवतौ।--फुलवाड़ी
8.अपने स्वार्थ के लिये या उद्देश्य पूर्ति के लिये किसी के पास बार-बार जाने की क्रिया या भाव।
- उदा.--खासा दिनां तांईं सेठ री वीणती साव ऐळी गी तौ वौ कायौ होय जमराज री तिथ छोड़ आपरा मन समझावणौ ई सावळ जांणियौ। जणा जणा री हाजरी साझियां कांईं सार।--फुलवाड़ी
क्रि.प्र.--दैणी, बोलणी, लैणी होणी।