सं.पु.
अ.
1.दशा, अवस्था, हालत।
- उदा.--1..रांणीजी बेचेतै व्हियोड़ा सूता हा। वै मरग्या तौ पेट री आसा रौ कांई हाल व्हैला।--फुलवाड़ी
- उदा.--2..च्यारू जणियां कह्यौ--नीं औ मा'राज, इत्ती भुळावण दियां पछै कांई धोखौ खावां। थांरौ भौ भौ ई भलौ व्हे, जकौ सगळी बात बताय दी। नींतर रांम जांणै कांईं हाल व्हैता।--फुलवाड़ी
4.ब्यौरा, विवरण, वृत्तान्त, बयान।
- उदा.--तथा स्रीचंद फरजंद परतू तणौं, पाय संकट घणौ खुड़द पूगौ। कसट सहियौ जिकौ हाल मालुम कियौ, हाल कहियौ अतै ब्हाल हूगौ।--मे.म.
7.चलने का ढंग गति, चाल।
- उदा.--1..तौ कुंवर विचारी हाल तौ मांटी री नहीं बैर री दीसै छै।--रायधण री वात
- उदा.--2..दांता रौ पांणी, कडीयां रौ केहरी, हाल री हंस, भूंआंरी भमर, कुरज री नस। अलकां री नागण, पलकां री कुरंग, कंठ री कोयल, सोनै री अंग।--मयारांम दरजी री वारता
- उदा.--3..हंस हाल परहरै, बचन पलटै दुरवासा। मह मोरां झड़ मंडै, इंद नहिं पूरै आसा।--चौथ बीठू
- उदा.--4..भाळ विसाळ सिंदूर सुसोभित, हाल मराल हसत्ती। रूप अनूप तेज मय राजत, मिळत पलक मदमती।--मे.म.
10.वर्तमान से कुछ पहले का समय। [सं.हालः]
12.हल कीवह लम्बी पट्टी या लट्ठा, जिसका एक शिरा हल के बीच में फंसा रहता है तथा दूसरे शिरे पर जूआ बांधा जाता है, हरिसा।
15.एक प्रकार का पक्षी। [अं.]
16.एक बहुत बड़ा व लम्बा चौड़ा कमरा, बड़ा कक्ष, हॉल। अव्यय [अ., फा.]
2.अभी, इसी समय, तुरन्त, तत्काल।
- उदा.--1..तुम थैं तब ही होइ सब, दरस परस दर हाल। हम थैं कबहुं न होइगा, जै बीतहिं युग काल।--दादूबांणी
- उदा.--2..कांई करां और संग भांवर, म्हांनै जग जंजाळ। मीरां प्रभु गिरधरन लाल सूं, करी सगाई हाल।--मीरां
2.अभी तक, वर्तमान काल तक, अब तक।
- उदा.--1..हाल दळियौ अर घाट खाबणौ नीं सीख्या तौ पछै कांई करूं। हांचळ नीं चूंघावूं तौ सगळा बेटां नै मरणौ पड़ै।--फुलवाड़ी
- उदा.--2..आज ई पांणी री बेळा व्हैगी दीसै। कांम हाल सगळौई पड़्यौ है। बांटौ भरणौ है, बिलोवणौ करणौ है।--अमरचूंनड़ी
- उदा.--3..हाल नखां रौ मैलौ ई कौ धुपियौ नीं। आं कांळिदर रा बिचियां नै कित्ता दौरा पाळ पोस नै मोटा करिया, वांनै णि बात रौ कांईं चेतौ। गाडियां रै मूंडै पोतड़िया धोया अर हाल धोवूं।--फुलवाड़ी
4.फिलहाल।
- उदा.--बाई हाल मांदी है भाई, वा सफा ठीक नीं व्है जितरै उण नै सफाखांना सूं छुट्टी मिळै कोनी। म्हैं उण नैं गोदी में ऊंचाय लियौ।--अमरचूंनड़ी