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हीर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.हीरा नामक रत्न।
  • उदा.--1..संग तेण विराजति याळ सरी, रमणी अलकावलि सोभ हरी। सुभ सोभत पंकज हीर सिरै, क्रति नौं ससि हस्ति असोभ करै।--ऊ.का.
  • उदा.--2..ऊपरि पद पलव पुनरभव ओपति, त्रिमळ कमळ दळ ऊपरि नीर। तेज कि रतन कि तार कि तारा, हरिहंस सावक ससि हर हीर।--वेलि.
  • उदा.--3..नयण कंज सम निपट, सुभग आंणण हिमकर सम। जप सम 'ग्रीवह' जळज, तवत सम हीर डसण तिम।--र.ज.प्र.
2.मोतियों की माला, हार।
  • उदा.--मांनहु रूप मनोज अधिक बांकी अदा, जर पवसाखां जोख सोभ भूखण सदा। पहरि पना पुखराज मुकताहळां, ऊगै फजर अदीत किनां चढती कळां।--सिवबख्स पाल्हावत
3.सूर्य, भानु। (ना.डिं.को.)
4.विद्युत, बिजली।
5.इन्द्र का वज्र।
6.शक्ति, बल।
7.सर्प, सांप।
8.शेर, सिंह।
9.लाक्षणिक अर्थ में किसी अमूल्य वस्तु के लिये उपमा।
  • उदा.--इयै रै वनै रौ क्या जोवसौ रे, औ तौ हाटां मांयलौ हीर, विलालौ रै जोवसां म्हांरा राज।--लो.गी.
10.किसी वस्तु के भीतर का मूल तत्त्व, सार भाग, सत, गूदा।
11.लकड़ी के नीचे का सार भाग।
12.धातु, वीर्य्य।
13.रेशम।
  • उदा.--1..सुचि कीजै स्नांन संपाड़ा, सहु पहिरै नवि नवि साड़ा। हीर चीर पाटंबर हेम, पहिरौ, सहु भूखण प्रेम।--ध.व.ग्रं.
  • उदा.--2..विरहन मारी विरह की, सुधि बुधि विसरी सार। हरीया सिर सुं डरीया, हीर चीर सिणगार।--अनुभववांणी
  • उदा.--3..विछायत समियांन वणियां तई जरकसि हीर तणिया। सिंघ आसण छत्र सोहै महा जगमग हंस मोहै।--सू.प्र.
14.रेशम का डोरा।
15.रेशम का वस्त्र।
16.नैषध चरितकार श्रीहर्ष के पिता का नाम।
17.शिव का एक नामान्तर।
18.छप्पय छन्द का 64वां भेद जिसमें, 7 गुरु, 138 लघु के अनुसार 152 मात्राएँ तथा 145 वर्ण होते हैं।
19.23 मात्राओं का एक मात्रिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण के अन्त में रगण होता है। रघुवर जस प्रकास में इसे 21 मात्राओं का माना है।
20.ठगण की पांच मात्राओं में से चौथे भेद का नाम।
21.प्रायः सारे भारत में पाई जाने वाली एक प्रकार की लता।
22.रंजा की प्रेमिका हीर जो रंजा ख्याल की मुख्य नायिका है।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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