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हुंकार  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.हुंकारः
1.सिंह, व्याध्र या किसी वीर पुरुष की जोशपूर्ण आवाज, गर्जना।
  • उदा.--प्रतापसिंह पड़तां ई जोर रौ हाकौ व्हियौ अर भीमड़ा नै च्यारूंमेर सूं घेर लियौ। त्राटक बाजण लाग्यौ। तड़ाक-तड़ाक करता माथा उडण लाग्या। जोर री हुंकार हुई।--अमरचूंनड़ी
2.जोर का शब्द, ध्वनि, घोष, टंकार।
  • उदा.--चिलैरी तांणी, हुंकार करती, बड़ै पठांण री बेटी ज्यूं तूही तूही करती, इण भांति री कबांणां रौ चकारौ उतरै छै सु उआंहीज वड़ां नै पीपलां री आ साखा सूं नांगळीजै छै।--रा.सा.सं.
3.लड़नेभिड़ने, ललकारने या चुनौति देने का शब्द।
4.डांटने या फटकारने का शब्द।
5.चिल्लाहट, चीत्कार, चींघाड़।
  • उदा.--सीह ज्यूं लंकां चढिया थका, भागा गाडा ज्यूं बठठाठ करता थका, वैस्यां ज्यूं झाला करता थका, मातै हाथी ज्यूं हुंकारां करता थका। इसा ऊंठ झेकजै छै।--रा.सा.सं.
6.करुण क्रन्दन, रुदन, हाहाकार।
  • उदा.--1..जु उमादै मंजळ मांडियौ थौ तिण मांहै विघ्न हुवौ, सह बाळक मारिया सू घर घर हुंकार पड़ियौ छै।--पंचदंडी री वारता
  • उदा.--2..विद्यारथियां नूं कही थांहरै घरै जावौ, सु उण रै घर रोवै पीटै छै, घणौ हुंकार पडियौ छै।--पंचदंडी री वारता
रू.भे.
हंकार, हांकार, हुंकारव, हूंकर, हूंकार।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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