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हेलि  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'हेली' (रू.भे.)
  • उदा.--1..भारि अढारै वन भरिउं, सांभलि नागरवेलि। अलगी रहि अेरडि तुं, चंपि चढी दिइ हेलि।--मा.कां.प्र.
  • उदा.--2..हेलि भणि सुणि रे हण्यां, माहरूं कीधउं जोई। कलि चंपावउं जै समइ, सुद्धि न जांणइ कोई।--मा.कां.प्र.
  • उदा.--3..कालि मेलावसि कांमिनी, हीइ म हारिसि हेलि। तूं तनया अम्ह आज थी, माधव माहरी वेलि।--मा.कां.प्र.
  • उदा.--4..हेलि बंधावइ हींचका, सुरतर केरी साख। माधव साथि हींचसिंउ, लीलां लटकइ लाख।--मा.कां.प्र.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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