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हेली  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.सहकेलि
1.सखी, सहेली।
  • उदा.--1..सखी अमीणौ साहिबौ, सूर धीर समरत्थ। जुध में वांमण डंड जिम, हेली बाधै हत्थ।--बां.दा.
  • उदा.--2..हे हेली पती रा प्राक्रम री इचरज जैड़ी वात हैं थनैं कांही कहूं हूं तौ औ पौरस देख बलिहारी जाऊं।--वीर सतसई की टीका
  • उदा.--3..हेली थारौ करहलौ, मोही बिलगौ बार। कै कांटां री बाड़ कर, कै घर बांधौ चार।--अज्ञात
2.देखो 'हवेली' (रू.भे.)
  • उदा.--1..अगरवालां आपरी हेली मैं मां'रजा री बेटी री जांननै एक जीमणवार देवणरौ जोस देखाळ्‌यौ।--दसदोख
  • उदा.--2..अबकै तौ बैं लूंटी कतारां, अब लूंटैगौ हेली। आसांमी ठस पड़गी, होगी रुपिंया की धेली।--डूंगजी जवारजी री छाबली
रू.भे.
हेलि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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