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होतब, होतब्य, होतव, होतवता, होतव्य, होतव्यता
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.भवितव्यता
होनहार, होनी, भावी।
उदा.--
1..संपति देख न हरखीयै, विपत कहा सोगा। ज्युं संपति ज्यूं वपत है, जो
होतब
जोगा।--अनुभववांणी
उदा.--
2..जुरजोधन जांणियौ, पाट हकणापुर बैठूं। एहड़ी कद जांणतौ, जायजळ भीतर पैंठूं। सुह कौरव लै साथ, कियौ भारत मुदा सूं। मन री मन मैं रही, मुऔ भीम री गदा सूं। त्रयलोकनाथ होतव तणा, अलब करै कुण अख्खरां, कवि ओप अग्यांनी नर कहै, नौवां री तेरह करां।--आपौ आढौ
उदा.--
4..जैसी हो
होतव्यता
, वैसीपजै बुद्ध। होणहार हिरदै बसै, बिसर जाय सब सुद्ध।--अज्ञात
रू.भे.
हुतब, होतिब।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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