सं.पु.
सं.नाग
1.सर्प, साँप (अ.मा.)
- उदा.--सखी अमीणौ साहिबौ, निरभै काळौ नाग। सिर राखै मिण सांमध्रम, रीझै सिंधू राग।--बां.दा.
2.कश्यप और कद्रू से उत्पन्न सन्तान। वि.वि.--पुराणानुसार सृष्टि के आरम्म मैं कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से निम्न आठ पुत्र हुए जो अष्टकुली नाग कहलाए--अनंत, वासुकि, कंबल, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शङ्वर, कुलिक और अपराजित। मतांतर से--अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शङ्वर तथा कुलिक। इनके कारण जब त्रैलोक्य में बहुत उपद्रव होने लगे तो ब्रह्मा ने इन्हें शाप दिया कि जनमेजय के नाग यज्ञ में तुम सपरिवार नष्ट हो जाओ। मतांतर से ब्रह्मा ने इन्हें कहा कि तुम अपनी माता के शाप से नष्ट हो जाओगे तदनुसार कद्रू ने कुछ नागों को जिन्होंने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया जनमेजय के यज्ञ में नष्ट होने का शाप दिया। ब्रह्मा के आगे अनुनय करने पर उन्होंने द्रवित होकर इनको पाताल, सुतल और वितल नामक स्थानों या लोकों में भेज दिया।
3.शेष नाग।
- उदा.--1..आग झड़हड़ै डूंडै रमै रण आंगणै, नाग फण नमै करै ससत्र नागा। कठा लग कवादी व्यूह रचना करै, अठाबन तणा भड़ लड़ण लागा।--कविराजा बांकीदास
- उदा.--2..छोनि मचक्की भारकै, फन नाग डगाया। चौके दिग्गज चिक्क रै, उर कल्प भ्रमाया।--वं.भा.
4.सर्प जाति विशेष जिनका ऊपरी शरीर मनुष्याकृति का और नीचे का धड़ सर्प शरीराकृति का होता है।
- उदा.--नाग देव नर तोहि मनावत, पढ़ि पढ़ि सुयस पार नहिं पावत।--मे.म.
5.हाथी, गज (डिं.को., अ.मा.)
- उदा.--1..बढ़ावत 'केहरी' केहरि बाग, नखायुध गाजत भाजत नाग।--मे.म.
- उदा.--2..आलम सूं मालम थई, विदिसा दिसांविगत्त। असवारी कज आखियौ, आंणौ नाग उचित्त।--रा.रू.
8.ज्योतिष के चार स्थिर करणों में तीसरे करण का नाम.
9.शरीरस्थ दश प्रकार के वायु में से छठवां वायु जिसके द्वारा डकार आती है.
11.कालीदह का नाग।--दड़ै काज जळ डोहि नाग नाथियौ निभै नर।--पी.ग्रं.
12.एक प्राचीन राज वंश जिसका विवरण महाभारत, पुराणादि ग्रंथों में मिलता है। वि.वि.--एक प्राचीन राज--वंश जिसका भारत में अस्तित्व महाभारत युद्ध से पूर्व पाया जाता है। महाभारत काल में अनेक नागवंशी राजा विद्यमान थे। नागों की अद्भुत लीला व अलौकिक शक्ति संबंधी अवतरण बौद्ध ग्रंथों में तथा राजरंगिणी में मिलते हैं। इस वंश में कई राजा हुए हैं जिनमें तक्षक, कर्कोटक, धनंजय, मणिनाग आदि प्रसिद्ध गिने जाते हैं। तक्षक के ही वंशज तक्ख, ताक, टक्क, ठाक, टांक आदि नामों से प्रसिद्ध हैं। टाक वंश के राजपूत अभी राजस्थान में मिलते हैं और वे अपने वंश का सीधा सम्बन्ध तक्षक से मिलाते हैं। विष्णु पुराण में नव नागवंशी राजाओं का पद्मावति (पेहोआ ग्वालियर राज्य) कांतिपुरी और मथुरा में राज्य करना लिखाहै, यथा--'नव नागा: पद्मावत्यां कान्तीपुर्या मूथुराम' (विष्णु पुराण, अंश 4, अध्याय 24)। इसी प्रकार वायु और ब्रह्माण्ड पुराण में भी नागवंशी नव राजाओं का चंपापुरी और सात का मथुरा में होना बतलाते हैं, यथा--नव नागास्तु मोक्ष्यान्ति पुरी चम्पावती नृड़पा: मथुरां च पुरी रम्यां नागा मोक्ष्यंति सप्तवै:। (वायु पुराण 99/322 और ब्रह्माण्ड पुराण 3/74/ 194) जब सिकंदर भारत आया तो उससे पहले तक्षशिला का नागवंशी राजा ही मिला। उसने सिकन्दर का कई दिनों तक तक्षाशिला में आतिथ्य किया और अपने शत्रु पौरव राजा के विरुद्ध चढ़ाई करने में सहायता पहुँचाई। इतिहास से पता चलता है कि महाप्रतापी गुप्तवंशी राजाओं ने नागवंशियों को परास्त किया था। प्रयाग के किले के भीतर जो स्तंभ है उस पर स्पष्ट लिखा है कि महाराज समुद्रगुप्त ने गणपति नाग को पराजित किया था। बाण भट्ट द्वारा रचित हर्ष चरित्र में भी नागवंश के राजा नागसेन का उल्लेख मिलता है। उसने लिखा है कि--'नागकुल जन्मन: सारिका श्रावित मन्त्रस्यासीन्नाशो नागसेनस्य पद्मावत्याम्।' (हर्ष चरित्र उच्छ वास 6, पृ.198) नागवंशी राजा नागसेन सारिका द्वारा गुप्त भेद प्रकट हो जाने के कारण मारा जाना माना जाता है। मालवे के परमार राजा भोज के पिता सिंधुराज का विवाह भी नागवंश की राजकन्या शशिप्रभा के साथ होने का उल्लेख मिलता है। नागवंश की कई शाखाएँ थीं। उनमें से टाक या टाक शाखा का छोटा सा राज्य यमुना के तट पर काष्ठा या काठा नगर में विक्रम की 14 वीं और 15 वीं शताब्दी तक था। नागवंश का अधिकार प्राचीन काल में राजस्थान के भूभाग पर भी अवश्य रहा होगा, इसके चिह्न मिलते हैं। मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोवर (जो.जोधपुर शहर से लगभग 6 मील दूर है) के आस--पास कुछ ऐसे स्थान मिलते हैं जिनसे सिध्द होता है कि मारवाड़ पर प्राचीन काल में नागवंश का राज्य था, यथा--नागकुण्ड और उसी कुण्ड के पास बहने वाली नदी नागादरी नाम से कहलाती है और यहां भाद्रपद वदि 5 को अब भी एक बड़ा मेला लगता है जो 'नागपंचमी का मेला' के नाम से विख्यात है। ऐसा अनुमान है कि यह दिन नागवंश के राजाओं के स्मारक का कोई त्यौहार--दिन होना चाहिए। मतांतर से इसका उल्लेख श्रावण शुक्ला पंचमी माना जाता है और इसका संबंध उस घटना से जोड़ा जाता है जब कश्यप के पुत्रों ने ब्रह्मा से प्रार्थना की थी और यह 'नागपंचमी' के नाम से प्रख्यात हो गई। इतना ही नहीं जिस पर्वत पर मंडोवर का किला बना हुआ है उसका नाम भोगी शैल है। 'भोगी' नाग का पर्याय है। भोगी शैल अर्थात् नागों का पहाड़। मारवाड़ का प्रसिद्ध नगर नागौर भी नागवंश के राजाओं का बसाया हुआ है। नागौर नगर के भी पर्यायवाची शब्दों में--नाग--पत्तन, नागपुर, नाग दुरंग, अहिच्छत्रपुर आदि शब्द मिलते हैं। इसी प्रकार कोटा राज्य के शेरगढ़ कस्बे के दरवाजे के पास वि.सं.847 माघ सुदि 6 का एक शिलालेख प्राप्त हुआ है जिसमें निम्न चार नागवंशी राजाओं के नाम मिलते हैं, यथा--बिंदुनाग, पद्मनाग, सर्वनाग और देवदत्त। अब तो राजस्थान में नागवंशियों का कोई खास स्थान नहीं है परन्तु राजस्थान में टाक वंश के राजपूत अब भी हैं।
13.नागौर नगर का नाम।
- उदा.--1..नाग दुरंग की तरफ फरासूं ने पेसखाना खड़ा किया।
- उदा.--2..नाग दुरंग पति जवन साह दौलत दळ सब्बळ।--सू.प्र.
15.एक प्रकार का स्त्रियों का आभूषण विशेष(व.स.)
16.आठ की संख्या सूचक शब्द*.
17.नौ की संख्या सूचक शब्द (डिं.को.)
19.देखो 'नाक' (रू.भे.) (अ.मा.)
अल्पा.
नागाड़ियौ, नागड़ौ। मह.--नागड़, नागेस।