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पांतरणौ, पांतरबौ
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.स.
देशज
1.छोड़ना।
उदा.--
धिखे धोम धूंवां रवण धरा पुड़ि धूजिया, कड़े चडिया कटक ऊकटा काट। कटे घोड़ा सुहड़ हुई आरिण विकट, विहारी
पांतर
केम कुळवाट।--राठौड़ बिहारीदास मांनौत रौ गीत
2.भूलना, विस्मरण करना।
उदा.--
1..विरुद्ध वेद वारता प्रबुद्ध
पांतरै
नहीं। बिसुद्ध सुद्ध संध तैं असुद्ध आंतरै नहीं।--ऊ.का.
उदा.--
2..हर हर करै न
पांतरे
, हर रौ नांम रतन्न। पांचू पांडव तारिया, कर दागियौ करन्न।--ह.र.
3.बुद्धिहीन होना, पागलपन करना।
उदा.--
1..सजु करै अहीरां सरिस सगाई, ओलांडै राजकुळ इता। ब्रिधपणै मति कोई वेसासौ,
पांतरिया
माता इ पिता।--वेलि.
उदा.--
2..अंब तजइ नहिं कोइलां, सरवर सालूरांह। राज हिवइ मा
पांतरउ,
आ धण द्यउ अवरांह।--ढो.मा.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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