सं.स्त्री.
फा.पर्दः+रा.प्र.आयत
1.वह स्त्री जो राजा-महाराजा, सामंत तथा सम्पन्न व्यक्ति के यहां बिना विवाह किए ही स्त्री रूप से रहती हो, उपपत्नी, रखैल।
- उदा.--1..कुलटा साची व्है ठुकरांणी कूड़ी। पड़दै पड़दायत रांणी सूं रूड़ी।--ऊ.का.
- उदा.--2..मुदै एह खट महल, सहल म्रत गिणै सुपावन। पड़दायत हित प्रिया, अघट सति मिळी अठावन।--रा.रू.
2.वह स्त्री जो पर्दा रखती है।
- उदा.--पड़दायत नारी मंदिर माळिये रे। जोवै जाळ्यां में मूंडौ घाल रे।--जयवांणी
3.वह जिसके यहाँ पर्दा रखने की प्रथा हो।
रू.भे.
पड़दाइत, परदाइत, परदायत।