सं.उज्झति
1.जलते हुए पदार्थ का जलना बंद हो जाना, जलने की समाप्ति या अंत हो जान
- उदा.--1..इतरे जागी नै पेखियौ ए, अग्नि--खीरौ बुझियौ देखियौ ए। जांण्यौ किम निपजाऊं आहार ए, तौ काढ़ूं लकड़ी फाड़ ए।--जयवांणी
- उदा.--2..तेल जळे ती जलती है बाती, दिवरा झळमळ सोय रांम। जळ गया तेल रु बुझ गई बाती, लच्चर लच्चर होय, रांम।--मीरां
2.कान्तिहीन होना, आभा मिटना, निस्तेज होना।
- उदा.--बीनणी रा बाप रै हरख ई कम नी हो पण बेटा रा बाप रै माथै तौ जांणै हजार घड़ा पांघी खळकीजियौ। सगळा जांनियां रै मूंडा री आब बुझगी।--फुलवाड़ी
3.पानी की सहायता से किसी प्रकार का ताप शांत होना।
4.चित्त का आवेग, उत्साह आदि मंद पड़ना, शान्त होना।
- उदा.--दादू सती तौ सिरजनहार सौ, जळे विरह की झाळ। ना वह मरे न जळ बुझे, ऐसे संग दयाळ।--दादूबांणी
- उदा.--2..काली मासी गोडां हाथा देय हेटै बैठती बोली--जग--जगता खीरा नै ई पांणी पड़ियां बुझणौ पड़ै। रीस रे जोस अठा तांई आय तौ गी, पण थनैं देखतां ई म्हारी रीस बुझगी।--फुलवाड़ी
5.भूख प्यास का शान्त होना, तृप्ति होना। ज्यूं.--भूख बुझणी, प्यास बुझणी।
- उदा.--तिस तौ पूरी नीं बुझी, पण उणनै खासौ भलौ चेतौ बावड़ियौ।--फुलवाड़ी
6.किसी तरल पदार्थ में किसी वस्तु को इस उद्देश्य से डुबाया जाना कि उसका गुण उस वस्तु में आ जाय।
7.देखो 'बूझणौ, बूझबौ' (रू.भे.)
- उदा.--1..ते कार्य जे बुद्धिमंति बुद्धि जे पहिलउं ऊपजइ, ते तुरंगम जे वेगिं पूजइ, ते सुभट जे संग्रांमि झुझइ, ते धेनु जे सरवदा दुझइ ते धरम उत्तम जे धरम बुझइ।--व.स.
- उदा.--2..थोडइ पांणी माछली जिम तालोवलि जाती, सोक--विकल थाती, क्षणि जायइ, क्षणि रोइअ, क्षणि हसिअइ, क्षणि बअसिइ, क्षणि आकांदिअइ, क्षणि मूझइ, क्षणि बुझइ।--व.स.
- उदा.--3..रे बाले वादल् ल, मनह अपणइ न बुझिसि। रे बाले बादल्ल, केम करि सांम्हु झुझिसि।--प.च.चौ.