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रेणुका  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
इक्ष्वाकुवंशीय रेणु (प्रसेनजित्‌) राजा की पुत्री, जमदग्नि महर्षि की पत्नी तथा परशुराम की माता थी।
  • उदा.--देवी रेणुका रूप में रांम जाया। देवी रांम रै रूप खत्री खपाया।--देवि.,
2.पृथ्वी। (डिं.को.)
3.बालू रेत।
4.रज, धूलि। सं.पु.--
5.सह्याद्रि पर्वत का एक तीर्थ स्थान।
रू.भे.
रेणका, रेणां, रेणा, रैणका।
विशेष विवरण:-कालिका पुराण में इसे विदर्भ राजा प्रसेनजित की कन्या कहा गया है। महाभारत के अनुसार इसका जन्म कमल से हुआ एवं इसके पिता तथा भाई का नाम क्रमश: सोमप एवं रेणु था। सोपम राजा के द्वारा इसका पालन--पोषण होने के कारण संभवत: उसे इसका पिता कहा गया होगा। रेणुका पुराण के अनुसार रेणु राजा ने कन्या--कामेष्ठि यज्ञ किया। यज्ञ कुण्ड से इसकी उत्पत्ति हुई थी। इसका स्वयंवर भागीरथी क्षेत्र में हुआ, जहां पर जमदग्नि ऋषि ने इसका वरण किया। इसके पाणिग्रहण के समय इन्द्र ने कामधेनु, कल्पतरु, चिंतामणि एवं पारस आदि विभिन्न अमूल्य पदार्थ भेंट किये। एक बार जमदग्नि बाणक्षेपण का कार्य कर रहे थे। उस समय बाण वापिस लाने का कार्य इसे सौंपा गया था। एक दिन बाण लाने में इसे कुछ विलम्ब हो गया, जिस कारण क्रुध होकर जमदग्नि ने अपने पुत्र परशुराम को इसका शिर छेदन के लिए कहा। परशुराम ने पिता की आज्ञा अनुसार इसका वध किया एवं तत्पश्चात्‌ जमदग्नि से आग्रह कर इसे पुनर्जीवित कराया। मतांतर से यही कथा इस प्रकार भी मिलती है। एक बार राजा चित्ररथ को स्त्री के संग क्रीड़ा करते देख इसके मन में कुछ विकार हुआ, जिससे क्रुध हो जमदग्नि ने परशुराम द्वारा इसका वध करवा दिया। तत्पश्चात्‌ परशुराम ने जमदग्नि से ही इसे पुनर्जीवित करा दिया। कहते हैं कि यह कमल से उत्पन्न अयोनिजा थी। प्रसेनजित इसके पोषक पिता थे। कहीं कहीं इसके पिता का नाम रेणु महर्षि भी लिखा मिलता है।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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