वि.
1.समाप्त, लुप्त।
- उदा.--संपट हुयगौ थळ जळ साई, लंपट हुयगा लोग लुगाई। कंपत लीली डज्ञळ सुकाई, चंपत हुयगी सब चतुराई।--ऊ.का.
2.मूर्ख, अज्ञानी। सं.पु.[सं.संपुटक]
2.संयोग, मिलन।
- उदा.--झिलमाझिल आधी रात। झीणी ठारी। सून्याड़ पंथ। तीजौ कोई आदमी पाखती कोनीं। अैड़ी निरजण खुली ठौड़मैं असेंधी लुगाई रै अणचींत्या संपट रौ नसौ कुजरबौ घणौ व्है।--फुलवाड़ी
3.देखो 'संपुट' (रू.भे.)
- उदा.--1..त्यारूं पचक्षोहणी परवरि नइ, सुहड़ निज भड़ टाळि। कर करीय करपट धरीय संपट, टोडरमाळ।--रूकमणि मंगळ
- उदा.--2..पड़िदा मैं छिपियौ रहै, सौ सांई नहिं थाय। हरिया हरि तिह लोक मैं, संपट मांहि न माय।--अनुभववांणी