सं.
फा.साज
1.उपकरम, सामान।
- उदा.--साज लोहा रा सांतरा, ताळा कर तयार। किसबी सारां कांम रौ, लीजै इसौ लवार।----रमणप्रकास ज्यूँ हळ रा साज, कुळी रा साज, लड़ाई रा साज, संगीत रा साज आदि।
2.वह सादन, सामग्री या उपकरण जिन्हें किसी वस्तु को पूर्णता देने के लिए उससे सम्बद्ध किये जाते हैं।
- उदा.--1..(जवह(र) कै साज सूं जमदढ खग कसी। बुलगारुं की उदागर चौतरफ कूं बसी।--सू.प्र.
- उदा.--2..धणी सोनै रूपै मैं जदी थकी, घणी बुलगार रै साज मैं लपेटी थकी उण हीज ढालां रा गड़गद्रां मैं बेलजै छै।--रा.सा.सं.
- उदा.--3..भीड़ ससत्र भळहळां, साज बुलगार सकाजा। आए वाहर अभंग, मसत गज महाराजा।--सू.प्र.
3.सामान, सामग्री, साधन।
- उदा.--1..साचा सदगुरु जै मिळै, सब साज संवारै। दादू नाव चढाय कर, लै पार उतारै।--दादूबांणी
- उदा.--2..गळ मुंडमाळ मसांण ग्रह, संग पिसाच समाज। पावन तूझ प्रभाव सूं, संभू अपावन साज।--बां.दा.
- उदा.--3..लाजै पीहर सासरौ, और लाजै म्हारौ साज। गोपीचंदण तुलसी की माळा, भीख मांगण रौ साज।--मीरां
- उदा.--4..इसा इसा अंधविसवासां रा कांड देख-देख'र म्हारै तौ डील रा रुंकोटा खड़ा हुय ज्यावै है कै--जकी मायड़ जात आपरै तप त्याग रै बळ-बूतै माथै फूसरै झूंपड़ै मैं सुरग रा साज सजा देवै है।--दसदोख
5.हाथी की अंबारी तथा घोड़े व ऊंट के चारजामे का सामान।
- उदा.--1..तदि वणै साज गयंदां तुरां वीर त्रंबाळा द्रीह वजि सुरतांण साह मुदफर दिसी, सूर चढै दळ पूरि सजि।--सू.प्र.
- उदा.--2..भळहळ साजां गज भिड़ज, मफा इका सुखपाळ। घोड़वहळ खासा घणा, दरगह मुहर दुझाळ।--सू.प्र.
- उदा.--3..करि पौसाक ससत्र कसि, साजां तुरंग सिंगार। इम चढि चढि भड़ आविया, दळ बह राजदुवार।--सू.प्र.
- उदा.--4..इव अठै खरळ तौ तयारी करण लागा अर अठै कुंवरसी घोड़ां रा साज संभाळ नवा कराया। घोडां सारां नुं रातब कर दीयौ, ताजा करौ। हथियार सारा सांतरा करण लागा।--कुंवरसी सांखला री वारता
6.अस्त्रशस्त्र।
- उदा.--1..जकड़ि छुरा खंजरा, कसै वह साज बंदूकां। ढळक अलीबंध ढाल, अरण मुख वणिक अचूकां।--सू.प्र.
- उदा.--2..बुगलार भीड़ वाढौ बहसि, जमदढ खग साजां जकड़ि। भूथांण कसै भुह मूँछ भिड़ि, पांण तांण सांकळ पकड़ि।--सू.प्र.
7.युद्ध सामग्री।
- उदा.--पखरैतां ध्वज पूर, सिलह ससत्रां रिण साजा। उभै सहंस आपरा, साथि सांमंत सकाजा।--सू.प्र.
8.घोड़े की काठी, जीन।
- उदा.--1..लोह डाच धरि लीण, मळै हाथळ दुसमाळां। फिरंग साज झड़फियौ, पंडव छोडियां अपालां।--सू.प्र.
- उदा.--2..तहदार गादियं धरै तांम, जग जोतिम दाखल जूळ जांम। कळबूत रजत सोव्रन सकाज, सिकळात मुखम्मल फिरंग साज।--सू.प्र.
9.सजावट, सजाने के उपकरण।
- उदा.--1..इम निसि सुकळ वाग नृप आए, विमळ चंद्रका साज वणाए।--सू.प्र.
- उदा.--2..सझै तोरण चित्र साजा, जैत आगम महाराजा।--सू.प्र.
10.श्रृंगार के उपकरण।
- उदा.--आठम हुआ ज आठ दिन, पिव बिन सूना साज। आंण हुवै जै पाहुँणा, नजर कळैजौ आज।--अज्ञात
11.वेशभूषा, पहनावा।
- उदा.--1..लाजै मीरां पीहर सासरौ, और लाजै म्हारौ साज। गोपीचंदण तुलसी की माळा, भीख मांगण रौ साज।--मीरां
- उदा.--2..तुररौस धारि औरुं तुरंग, हुई सेल खागां हणै। सुभराज करूं महाराज सूँ, वीर साज णि विध वणै।--सू.प्र.
12.आभूषण, गहने। (डिं.को.)
14.वाद्य यन्त्र, बाजा।
- उदा.--गीत, संगीत, ताळबंध, म्रदंग, वीणा, सारंगी, तंबूरा रा साज लागि नैं रहिआ छै। इण भांति री आखाड़ै रंभा पात्र निरत कारणि सोलै सिणगार किआं थकां कांन रा झांझर वाजि नै रहिआ छै।--रा.सा.सं.
16.आधार, अवलंब।
- उदा.--रावळि होय कै किन रै जाऊं, तुम हौ हिवड़ा कौ साज। मीरां कै प्रभू और न कोई, राखौ अबकी राज।--मीरां
17.कार्य, काम।
- उदा.--पड़ती सांझ दिवलौ संजोयौ, सह कर राख्या छै साज। रसीलाराज जोरी जुगळ किसोर की, लिखी छै विधाता लिलाट।--रसीलै राज रा गीत
18.तैयारी।
- उदा.--तेड्या प्रथ्वीपति तै घणा, आव्या साज करी आपणा। राजि राजांनी मंडली, मुख जांणै उड्डमाला म्यळी।--नळाख्यांन
रू.भे.
संज, संझ, सहाज, साजि, साझ।
वि.
बनाने वाला, ठीक करने वाला। ज्यूं--गदीसाज, जिल्दसाज। (यौ.साजबाज)