सं.पु.
सं.स्वर्ण
1.एक प्रसिद्ध बहुमूल्य धातु जिसके आभूषण आदि बनते हैं, इसका रंग पीला होता है, कंचन, स्वर्ण।
- उदा.--खीर खांड रौ जीमण जीमाऊं, सोना चांच मंढाऊं कागा, जद म्हारा पिवजी घर आवै।--लो.गी.
- मुहावरा--1.सोना मैं सुगंध=जब दो अच्छी बातों का संयोग हो.
- मुहावरा--2.सोना रा थाल मैं तांबा री मेख= उत्तम वस्तु में घटिया वस्तु का योग होने पर उसके सौन्दर्य में कमी हो जाती है। स्वच्छता पर दाग होने की दशा में, बेमेल कार्य.
- मुहावरा--3.सोना नै काट नीं लागै= सच्चे व ईमानदार अपने प्रण से नहीं डिगते.
- मुहावरा--4.सोनौ गयौ करण री लार=भले और महान व्यक्तियों का अभाव होना
- मुहावरा--5.सोनौ घड़ाई सूं मूंगौ पड़ै है= आभूषण की घड़ाई स्वर्ण की कुल कीमत से अधिक होने पर मुख्य कार्य से गौण कार्य जब अधिक भारी पड़ता हो.
- मुहावरा--6.सोनौ देख्यां मुनी रौ ई मन डिगै=लालच बुरी बला होती है.सुन्दर व मूल्यवान् वस्तुओं में आकर्षण होता है.
- मुहावरा--7.सोना री कटारी पेट मैं नीं मारीजै=कीमती वस्तु भी यदि प्राण लेने वाली हो तो त्याग देना चाहिये.
- मुहावरा--8.सोना रौ सूरज ऊगणौ=अत्यन्त खुशी की घड़ी आना.
- मुहावरा--9.सोना रै छोत थोड़ीइ लागै =चंदन विष व्यापै नहीं लपटे रहत भुजंग.
- मुहावरा--10.सोळमौ सोनौ=खरी वस्तु, खरा आदमी, अत्यन्त शुद्ध.
- मुहावरा--11.सोना रै सूळौ लागौ है=असंभव बात होना।
2.बहुमूल्य पदार्थ, वस्तु। वि.--पीत। * (डिं.को.)
पर्याय.--अगनीबीज, अस्टपाद, कंचन, कनक, करबुर, कळधोत, कुंनण, कुरमदन, गांगोय, गारुड़, गैरूक, चांमीकर, जांबूनद, जातरूप, तपनीय, धातांसार, धातोपम, पीतरंग, भरम, भूतम, भूर, भूरम, भूरि, महारजत, रजत, रजतधांम, रुकम, लोहतम, वसू, सातकूंभ, साळ, सुवरण, सेलसुत, सोनूं, सोव्रण, स्वरण, हरन, हाटक, हिरन, हेम।